छत्तीसगढ़ की राजधानी का क्या नाम है ? | Chhattisgarh Ki Rajdhani

Chhattisgarh Ki Rajdhani :- छत्तीसगढ़ देश का 26वाँ राज्य है और इस प्रदेश को विश्व में धान का कटोरा होने का गौरव प्राप्त है।

वैसे तो छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है, जिसमें अनेक राजवंशों ने शासन किया साथ ही कला, संस्कृति व पुरानी विरासत के लिए पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ प्रसिद्ध है। ऐसे में Chhattisgarh ki Rajdhani क्या होगी ? यह प्रश्न अनायास ही हमारे मन में आ जाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम Chhattisgarh ki Rajdhani क्या है ? इस विषय पर चर्चा करेंगे साथ ही इस प्रदेश की राजधानी के निर्माण व इतिहास संम्बधी तथ्यों पर भी नजर डालेंगे।

वैसे तो छत्तीसगढ़ को आदिवासियों की देव भूमि भी कहा जाता है, ऐसे ही रोचक जानकरियों का संग्रह हमने आपके लिए किया है।


Chhattisgarh Ki Rajdhani

छत्तीसगढ़ को जल, जंगल, जमीन और अपनी खनिज संपदा की प्रचुरता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है, ऐसे समृद्धशाली प्रदेश की राजधानी होने का गौरव रायपुर को प्राप्त है साथ ही रायपुर ने इस प्रदेश का सबसे बड़ा शहर होने का कीर्तिमान भी स्थापित किया है।

छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया और साथ ही रायपुर इस प्रदेश की राजधानी बनी। 2 नवम्बर 1861 को मध्यप्रांत का गठन हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल था और इस प्रदेश में रायपुर जिला अस्तित्व में आया। उसके अगले ही साल 1862 में छत्तीसगढ़ एक स्वतंत्र संभाग बना जिसका मुख्यालय रायपुर बना।


रायपुर शहर का निर्माण

कलचुरी वंश के शासक रामचन्द्र ने रायपुर शहर का निर्माण कराया था और इसे अपनी राजधानी भी बनाई थी।

लेकिन दूसरे कुछ इतिहासकारों का मानना है, कि रामचन्द्र के पुत्र ब्रम्हदेव राय ने रायपुर नगर की स्थापना की और उन्होंने इसकी राजधानी खल्लारी को बनाया। ब्रम्हदेव राय के नाम पर ही इसका नाम रायपुर रखा गया।


राजधानी रायपुर के पर्यटन स्थल

रायपुर धार्मिक नगरी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक नगरी है, जहां सभी महत्वपूर्ण सचिवालय और मंत्रालय स्थित हैं।

रायपुर में अनेक प्राचीन मंदिर व स्थापत्य है, जो रायपुर के पर्यटन में चार-चांद लगाता है, साथ ही यहां खूबसूरत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है, जो रायपुर को वैश्विक पहचान दिलाता है। रायपुर के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी हमने आपको आगे  दी है।

1. दूधाधारी मठ

दूधाधारी मठ की स्थापना बलभद्र दास ने की थी। लोगों का कहना है, कि वे हनुमान जी का दूध से अभिषेक करते थे और उसी दूध का सेवन कर्तव्य थे।

उसके अलावा वे किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करते थे इसी प्रकार बलभद्र दास जी का नाम दूधाधारी पड़ गया और वे जिस मठ में रहते थे, उसे दूधाधारी मठ कहने लगे।

जैसे ही आप मठ की सीढ़ियां चढ़ेंगे, आपको मोटे लोहे की सलाखों से बने मुख्य द्वार मिलेगा, जिसके ऊपर सफेद मार्बल से श्री दूधाधारी मठ , स्थापित संवत 1610 ( सन 1554 ) लिखा मिलेगा।

2. जंगल सफारी

रायपुर में 800 एकड़ में फैले जंगल को कृत्रिम रूप से बनाय गया है, जहां बहुत घने और बड़े-बड़े वृक्ष सुंदर गार्डन आपको बेहद रोमांचित करते हैं।

यहां विलुप्त होती कई स्वदेशी पौधों की प्रजातियों को उगाकर जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास बनाया गया है।

जंगल सफारी के अंदर प्रवासी पक्षियों के लिए 130 एकड़ में  खण्डवा जलाशय है, जो प्रवासी पक्षियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। यहां चार सफारी की योजना बनाई गई है, जो शाकाहारी, भालू, बाघ और शेर के लिए है।

जंगल सफारी, सेक्टर -39 नया रायपुर में स्थित है। कई स्वदेशी पौधों की प्रजातियां भी वनस्पति को जोड़ती हैं, जो जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास बनाते हैं।

इसमें 130 एकड़ का ” खांडवा जलाशय ” नामक जल निकाय है , जो कई प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है। चार सफारी अर्थात् शाकाहारी, भालू, बाघ और शेर की योजना बनाई गई है।

आने वाले चिड़ियाघर में 32 और प्रजातियां प्रदर्शित की जाएंगी। सफारी के अंदर 55 हजार अतिरिक्त पेड़ रोपे गए हैं तथा सड़कों के दोनों ओर ग्रीन बेल्ट बनाया गया है।

3. महंत घासीदास संग्रहालय

इसका निर्माण 1875 में ब्रिटिशकालीन रायपुर में हुआ है। यहां 1921 में सातवाहनकालीन काष्ठ स्तम्भ को रखा गया है और साथ ही इस परिसर में महाकौशल कला वीथिका स्थापित किया गया है।

4. श्रीधाम अघोरी मठ

यह पूरे प्रदेश का इकलौता मठ है, जिसका पूरा गुम्बद श्रीयंत्र से निर्मित है। इसके 43 तिकोने है जिसमें एक-एक शिवलिंग है, यह स्थापत्य कला का बेहद खूबसूरत नमूना है।

यह मठ प्रोफेसर कॉलोनी श्रीधाम रायपुर में स्थित है। यहां 2004 में बाबा औघड़नाथ आये थे तभी से यहां भव्य सम्मेलन होता है।

5. पुरखौती मुक्तांगन

2006 में उपरवारा रायपुर में स्थापित एक संग्रहालय है, जहां छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति को संजोकर रखा जाता है। इसे देखना छत्तीसगढ़ भ्रमण जैसा एहसास दिलाता है।


छत्तीसगढ़ की राजधानी का इतिहास

छत्तीसगढ़ की राजधानी कहलाने वाले रायपुर को पुराने भवन और किलों के अवशेषों को देखते हुए इतिहासकार इस शहर को 9वीं शताब्दी में अस्तित्व में आना मानते हैं।

रायपुर कलचुरी राजाओं की कनिष्ठ शाखा की राजधानी थी, जो की अतिदीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ की दक्षिणी अठारह किलों पर राज्य करते रहे।

देश के इस भाग में 1750 से 1818 तक मराठा शासन के दौरान रायपुर एक परगना मुख्यालय रहा। उस समय भी यह नगर संपूर्ण छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण नगर था।

वैसे 9वीं शताब्दी के पीछे हम जाएं, तो हमें पता चलता है, कि यहां मौर्यों का शासन भी रहा है।

2री और 3री शताब्दी में सातवाहनों ने यहां आकर शासन किया, इतिहास में थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें पता चलता है, कि रायपुर जो दक्षिण कोशल का हिस्सा हुआ करता था, वह वाकाटक वंशीय शासकों के अधीन था और इसे समुद्रगुप्त जो गुप्तवंशीय शासकों में सबसे अधिक प्रतापी शासक थे, उन्होंने रायपुर में राज करने वाले वाकाटक वंशीय शासक महेन्द्रसेन को पराजित कर इसे आने राज्य के अधीन किया।


निष्कर्ष :-

हमने Chhattisgarh ki Rajdhani के बारे में पूरा विस्तार से जानने का प्रयास किया है।

हमें आशा है, कि आपको रायपुर की कला, संस्कृति और स्थापत्य को जानकर अच्छा लगा होगा।

यदि अभी आपके मन में इससे सम्बन्धित कोई प्रश्न है, तो आप हमें कमेंट या मेल कर सकते हैं। हम आपके सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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