भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain :- आज का हमारा लेख है, भाषा के कितने रूप होते हैं ? तो अगर आप भाषा के रूप के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो इस लेख को ध्यान से पूरे अंत पढ़े।

भाषा का अर्थ क्या होता है | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा एक प्रणाली है या कह सकते है, कि माध्यम है एक दूसरे से बात करने का । जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी भावनाएँ, नाराज़गी, गुस्सा, प्यार, उप कार, शिष्टाचार, आज्ञा, मोह, आदेश, ख़ुशी और अनेक मनोभावना को किसी अन्य  अन्य व्यक्ति के सामने व्यक्त करता है।

आपने ने भी यह देखा होगा, कि हम अपनी ख़ुशी और आनंद को व्यक्त करने के समय अक्सर हँसते है।

अपने किसी दृढ़ संकल्प को किसी के सामने प्रकट करने के लिए हम अपने हाथों की मुट्ठी बंद करते है। और आपने यह भी देखा होगा, कि खुद के विरुद्ध किसी भी बात के लिए हम गुस्सा भी व्यक्त करते है।

तो दोस्तों वही किसी बात पर आश्चर्य चकित होने पर हम अपनी पलकें ऊपर उठाते है।

तो कुछ इस तरह से सामने वाला व्यक्ति हमारे भावनाओं को समझ सकता है, और आमतौर पर ये सभी भाषा का ही रूप है।

दोस्तों क्या आपको मालूम है, कि भाषा सिर्फ वाक्य और शब्दों तक ही सीमित नहीं है। जो हम अपने मुहँ से बोल कर ही किसी को बता विचार सकते है।

हम आप को बता दे, कि भाषा इतनी विस्तृत है की हर वो वस्तु जिस की सहायता से हम किसी अन्य इंसान और खुद से बात करते है।

और अपनी अनुभव, मनोभावना, अनुभूति, भावनाएँ, अहसास, अपनी अंदर की बातें, उम्मीदें खुद को या किसी इंसान को व्यक्त करते है। और वह सब किसी न किसी भाषा के अंतर्गत ही आता है।

भाषा को लेकर के आप को विभिन्न विभिन्न राय और परिभाषा मिलती है। और कई सारे बड़े बड़े दार्शनिको और बड़े बड़े लोगो ने भाषा के संबंध में कई सारे अलग अलग उनके विचार रहे है।

तथा इस के साथ ही सबने अपने तरीके से भाषा की व्याख्या की और उसे बताने की कोशिश है। जिस मे से भाषा की कुछ मुख्य व्याख्या इस प्रकार से है।

भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के कितने रूप होते हैं :- हिंदी व्याकरण के अनुसार भाषा के तीन रूप होते हैं।

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा

ऊपर हमने आपको Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain के बारे में बताया, अब इन्हे थोड़ा विस्तारपूर्वक जानते है।

  1. मौखिक भाषा किसे कहते है ? ( Maukhik Bhasha Kise Kahte Hai )

मौखिक भाषा बात करने के उस माध्यम को कहा जाता है, जिस में हम अपने दिमाग, मन और भावनाओं की लगभग सभी बातों को किसी दूसरे इंसान को बोल कर या उस से बातें कर के उस से व्यक्त करते हैं।

भाषा के इस रूप में व्यक्ति अपनी बात को बोल कर या किसी से कह कर के उसे बताता है, ताकि सामने वाले को उसकी बातों और भावनाओं को अच्छी तरह से समझ में आ सके और वो व्यक्ति उस बातों का अर्थ समझ सके।

जैसे कि फ़ुटबॉल मैच के दौरान DJ या माईक के द्वारा लोगों को फ़ुटबॉल खेल की सभी गतिविधियों और जानकारियाँ के बारे में बोल कर बताया जाता है, या यह भी कहा जा सकते हैं, कि जब हम किसी से mobile phone के द्वारा संपर्क में आते हैं, तो हम हमेशा एक दूसरे को बोल कर अपनी बात को व्यक्त करते हैं, इसे ही  हम मौखिक भाषा कहते हैं।

मौखिक भाषा का उदाहरण :- राम आज स्कूल में स्पीच देते समय अपनी मन की सारी बातें कह डाली और सभी बच्चों ने एक साथ ज़ोरदार ताली भी पिटी , और इस स्पीच के बाद शिक्षक लोग आपस मे बात कर रहे थे, कि राम को कुछ गिफ्ट दिया जाएगा, इस बेहतरीन स्पीच के लिए ।

  1. लिखित भाषा किसे कहते हैं ? ( Likihit Bhasha Kise Kahate Hain )

लिखित भाषा उसे कहा जाता है, जब हम अपने  भावनाओं और विचार और अपनी लगभग सभी बातों किसी इंसान को लिख कर के बताते हैं और उसे समझाते है, तो इसी को आमतौर पर लिखित भाषा कहते है।

लिखित भाषा का सब से अच्छा और समझने लायक उदाहरण है, हमारे पुराने जमाने में लिखा जाने वाला पत्र यानी कि चिठी है,

जिस में एक इंसान अपनी लगभग सभी बातों और विचारों और भावनाओं को कागज़ पर लिख कर के व्यक्त करते थे। और सामने वाला इंसान भी पत्र यानी कि चिट्ठी को पढ़ कर, लिखने वाले इंसान के द्वारा व्यक्त किये जाने वाली भावनाओं को समझ सकता था, यही लिखित भाषा का रूप है।

लिखित भाषा का उदाहरण :-  हमारे देश के फ़ौजी भाई अपने घर के लिए पत्र लिखते है।

दोस्तों इस वाक्य का अर्थ है, कि फ़ौजी भाई अपने सभी भावनाओं और इच्छाओं को उस चिट्ठी में व्यक्त कर रहे हैं, यानी कि लिख रहे हैं और जब यह चिट्ठी उनके घरवाले तक पहुँचेगा तो वह लोग भी इस चिट्ठी को पढ़ करके उनकी भावनाओं और विचारों को समझ पाएंगे और वह जान पाएंगे कि हमारे फ़ौजी भाई उन्हें क्या कहना चाहते हैं।

  1. सांकेतिक भाषा किसे कहते है ? ( Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain)

सांकेतिक भाषा हम इस भाषा को कहते है, जिस के अंतर्गत कोई भी इंसान अपनी बात को विचारों और  संकेत के द्वारा उस अगले इंसान के सामने व्यक्त करते हैं।

खास कर वह लोग जो बहरे होते हैं, वह अपने बातों को सामने वाले इंसान को अपनी बातें व्यक्त करने के लिए ही इस तरह के सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

खास तौर पर वह अपनी विचारों और भावनाओं का जिक्र इशारों के द्वारा, सामने वाले इंसान को समझाने की कोशिश करते हैं और सामने वाला इंसान भी उन के इशारों से उस व्यक्ति की विचारों और, भावना को समझ लेता है।

हम आपके जानकारी के लिए बता दे, कि इस का सब से अच्छा उदाहरण चौराहे पर खड़े  traffic police  का हो सकता है।

वह अपने हाथ के इशारे से पूरे ट्रैफिक को नियंत्रित कर लेता है। और लोगो को भी वह इशारे में ही समझता है और लोग भी उस ट्रैफिक पुलिस के बातें को समझ जाते है।

Conclusion, निष्कर्ष

दोस्तों आशा करता हूं, कि आप को मेरा यह लेख भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain आप को बेहद पसंद आया होगा और आप भी इस लेख के मदद से वह सभी जानकारी को पूरे विस्तार से प्राप्त कर चुके होंगे।

जिस के लिए आप हमारे website पर आए थे, हमने इस लेख में आसान से आसान भाषा का इस्तेमाल करके आपको भाषा के कितने रूप होते हैं, से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है।

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